क्या है शिवराज सिंह चौहान की कृषि सखी योजना.. ? ,कैसे ले सकते हैआप इस योजना का लाभ
कृषि सखी योजना के तहत अब तक लगभग 34,000 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया है। इस योजना के माध्यम से महिलाएं खुद का रोजगार स्थापित कर सकती हैं और अपने परिवार के जीवन को बेहतर बना सकती हैं। प्रधानमंत्री ने इसे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का एक नया कदम बताया है। जिसे शिवराज सिंह चौहान १२ राज्यों में लागु करने जा रहे है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 जून 2024 को कृषि सखियों के लिए एक बड़े कदम की पहल की है । उन्होंने 30,000 से अधिक स्वयं सहायता समूहों को प्रमाण पत्र प्रदान किए। इस अवसर पर उन्होंने कृषि सखी पहल के तहत महिलाओं के लिए एक नई योजना की घोषणा की, जिसको कृषि सखी योजना के नाम से जाना जायेगा जिससे माध्यम से 3 करोड़ महिलाएं लखपति दीदी बन सकें। उन्होंने बताया कि इस पहल से महिलाओं को गरिमा और आय के स्रोत मिलेंगे।
कृषि सखी योजना के तहत अब तक लगभग 34,000 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया है। इस योजना के माध्यम से महिलाएं खुद का रोजगार स्थापित कर सकती हैं और अपने परिवार के जीवन को बेहतर बना सकती हैं। प्रधानमंत्री ने इसे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का एक नया कदम बताया है।
कृषि सखी योजना क्या है
भारत में कृषि सक्षमता को बढ़ाने के लिए “कृषि सखी” सर्टिफिकेशन कार्यक्रम महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण निभाता है इस कार्यक्रम में महिलाओं को विभिन्न कृषि कामों से सम्बंधित जानकारी का प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें वे अपनी पसंदीदा विषय का चयन कर 56 दिनों तक उस पर काम करती हैं। इसके बाद, उन्हें एक परीक्षा देने का मौका मिलता है, जिसे उत्तीर्ण करने पर उन्हें “कृषि सखी” का प्रमाण पत्र प्राप्त होता है। यह प्रमाण पत्र महिलाओं को “कृषि पैरा-एक्सटेंशन सहायक” बनाने में मदद करता है, जिससे वे अपने समुदाय में कृषि विकास के लिए महत्वपूर्ण सहायक बन सकती हैं। इस प्रक्रिया के माध्यम से, “कृषि सखी” सर्टिफिकेशन कार्यक्रम न केवल महिलाओं के लिए रोजगार के नए स्रोत प्रदान करता है, बल्कि उनके द्वारा गांवों में कृषि प्रौद्योगिकी और उन्नति को बढ़ावा देने में भी मदद करता है।
देश के 12 राज्यों में होगा लागु
वर्तमान में सरकार ने देश के 12 राज्यों को ‘कृषि सखी’ कार्यक्रम के लिए चुना है। इसमें गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, झारखंड, आंध्र प्रदेश और मेघालय राज्य शामिल हैं। यह कार्यक्रम कृषि उत्पादकों को नवाचारी तकनीक से अवगत कराने और उनकी समर्थन करने का उद्देश्य रखता है। इससे कृषि क्षेत्र में तकनीकी विकास होगा और किसानों की आय बढ़ेगी।
कृषि सखियों को इन विषयो पर दिया जायेगा परीक्षण
देश की महिलाएँ कृषि क्षेत्र में अपना योगदान बढ़ाने के लिए उन्हें कृषि सखियों के रूप में प्रशिक्षण दिया जाता है, जो कि 56 दिनों का होता है। इस प्रशिक्षण में निम्नलिखित मुख्य विषयों पर जानकारी दी जाती है:
- भूमि की तैयारी से लेकर फसल काटने तक कृषि पारिस्थितिक अभ्यास: यह शामिल है भूमि की सही तैयारी, बीज बोने और समय पर उचित परिपालन।
- किसान फील्ड स्कूलों का आयोजन: कृषि क्षेत्र में व्यापक अभ्यास और प्रशिक्षण के लिए किसान फील्ड स्कूलों का संचालन।
- बीज बैंक + स्थापना एवं प्रबंधन: बीज बैंकों की स्थापना, प्रबंधन और बुनियादी ज्ञान का प्रदान।
- मृदा स्वास्थ्य, मृदा और नमी संरक्षण प्रथाएं: मृदा की स्वास्थ्य और नमी संरक्षण के लिए उपाय और तकनीकी जानकारी।
- एकीकृत कृषि प्रणाली: समग्र कृषि प्रणाली के महत्व और उसके फायदे।
- पशुपालन प्रबंधन की मूल बातें: पशुओं के उचित पालन, प्रबंधन और स्वास्थ्य के लिए अवधारणाएँ।
- बायो इनपुट की तैयारी, उपयोग एवं बायो इनपुट की स्थापना: जैविक उपयोग और बायो इनपुट के लिए तैयारी और उपयोग की विधियाँ।
- बुनियादी संचार कौशल: कृषि उत्पादों के बेहतर बिक्री के लिए महत्वपूर्ण संचार कौशल।
कृषि सखी कितनी कमाई कर सकती है
कृषि सखियों के लिए सरकारी प्रशिक्षण एवं परीक्षा: एक मार्ग प्रशिक्षित और प्रमाणित होने का
सबसे पहले इच्छुक महिलायो को सरकार द्वारा प्रदान प्रशिक्षण दिया जायेगा उसके बाद, महिलाओं को एक परीक्षा देनी पड़ती है। इस परीक्षा के पास होने के बाद, वे पैरा विस्तार कार्यकर्ता के रूप में प्रमाणित किए जाते हैं, जिससे उन्हें कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं में भाग लेने का मौका मिलता है। इस प्रक्रिया से उन्हें विशेष संसाधन शुल्क पर विभिन्न कृषि गतिविधियों में सहयोग करने की संभावना होती है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, एक कृषि सखी वर्ष में औसतन 60 हजार रुपये से 80 हजार रुपये तक कमा सकती हैं।
कृषि सखिया किसानो की मदद कैसे कर सकती है
कृषि सखियाँ और उनका किसानों के साथ सहयोग: MOVCDNER की योजना
वर्तमान में MOVCDNER (पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन) की योजना के अंतर्गत 30 कृषि सखियाँ लोकल रिसोर्स पर्सन (LRP) के रूप में कार्य कर रही हैं। ये सखियाँ प्रति महीने एक बार प्रत्येक खेत पर जाकर कृषि गतिविधियों की निगरानी करती हैं और किसानों को समस्याओं को समझाती हैं। वे किसानों को प्रशिक्षित करती हैं, उन्हें (FPO) के कार्यकाल और विपणन गतिविधियों को समझाने में मदद करती हैं, और हर हफ्ते किसान हित समूह (FIG) स्तर पर बैठकें आयोजित करती हैं। इन सखियों को इस काम के लिए प्रति माह 4,500 रुपये का संसाधन शुल्क मिल रहा है।
वर्तमान में MOVCDNER (पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन) की योजना के अंतर्गत 30 कृषि सखियाँ लोकल रिसोर्स पर्सन (LRP) के रूप में कार्य कर रही हैं। ये सखियाँ प्रति महीने एक बार प्रत्येक खेत पर जाकर कृषि गतिविधियों की निगरानी करती हैं और किसानों को समस्याओं को समझाती हैं। वे किसानों को प्रशिक्षित करती हैं, उन्हें (FPO) के कार्यकाल और विपणन गतिविधियों को समझाने में मदद करती हैं, और हर हफ्ते किसान हित समूह (FIG) स्तर पर बैठकें आयोजित करती हैं। इन सखियों को इस काम के लिए प्रति माह 4,500 रुपये का संसाधन शुल्क मिल रहा है।
वर्तमान में MOVCDNER (पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन) की योजना के अंतर्गत 30 कृषि सखियाँ लोकल रिसोर्स पर्सन (LRP) के रूप में कार्य कर रही हैं। ये सखियाँ प्रति महीने एक बार प्रत्येक खेत पर जाकर कृषि गतिविधियों की निगरानी करती हैं और किसानों को समस्याओं को समझाती हैं। वे किसानों को प्रशिक्षित करती हैं, उन्हें (FPO) के कार्यकाल और विपणन गतिविधियों को समझाने में मदद करती हैं, और हर हफ्ते किसान हित समूह (FIG) स्तर पर बैठकें आयोजित करती हैं। इन सखियों को इस काम के लिए प्रति माह 4,500 रुपये का संसाधन शुल्क मिल रहा है।